s Swami Keshwanand Samiti Charitable Trust

स्वामी जी के नाम पर ट्रस्ट कि स्थापना

सन 1983 में स्वामी जी की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के उद्देश्य से से स्वामी केशवानन्द स्मृति चेरिटेबल ट्रस्ट संगरिया की स्थापना हुई । ट्रस्ट के सतत प्रयत्नों से भारत सरकार और राज्य सरकार के समक्ष स्वामी केशवानन्द जी की देश – सेवा और समाज – सेवा के पक्ष उजागर हुए । अत: भारत सरकार ने स्वामी केशवानन्द जी को स्वन्त्रता – सेनानी के रूप में स्वीकारते हुए उन्हें मरणोपरांत सम्मानित करने के लिए 15 अगस्त 1999 को उनके चित्र से युक्त तीन रूपए का डाक – टिकट जारी किया । राजस्थान स्वर्ण जयंती समारोह समिति जयपुर ने अपनी “राजस्थान में स्वन्त्रता-संग्राम के अमर पुरोधा ग्रंथमाला” के अंतर्गत सन 2002 में श्री गोविंद शर्मा द्वारा लिखित उनकी जीवनी “स्वामी केशवानन्द” प्रकाशित की । सन 2009 में राजस्थान सरकार ने स्वामी जी के प्रति इलाके के लोगों की श्रद्धा और कृतज्ञता की भावना का सम्मान करते हुए, राजस्थान कृषि विश्वविधालय बीकानेर का नाम स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविधालय बीकानेर करके उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की । ट्रस्ट ने विश्वविधालय परिसर में स्वामी जी की एक भव्य धातु प्रतिमा का प्रतिष्ठापन करवाकर राजस्थान के मुख्य मंत्री श्री अशोक जी गेहलोत से 4 अक्तूबर 2011 को उसका अनवर्णोत्सव सम्पन्न करवाया । शिक्षा संत स्वामी केशवानन्द जी समाजसेवी सत्पुरुषों के लिए सदियों तक प्रेरणा स्तोत्र बने रहेंगे ।

स्वामी केशवानन्द स्मृति चेरिटेबल ट्रस्ट, संगरिया का संक्षिप्त परिचय

पूर्व परिचय :

स्वामी केशवानन्द जी का देहावसान 13 सितंबर 1972 को हुआ । उससे पूर्व के 64 वर्षों में उन्होने फाजिल्का अबोहर क्षेत्र में हिन्दी-प्रचार समाज सुधार के कार्य किए, स्वन्त्रता आंदोलन में भाग लेकर जेल की सजाएँ भुगती और फिर संगरिया में रह कर चालीस वर्ष में जात मिडिल स्कूल को ग्रामोथान विध्यापीठ का रूप दिया और उसके माध्यम का बीकानेर संभाग के दुर्गम पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा-शालाएँ स्थापित कर जन-जागृति, रूढ़ि – उन्मूलन, स्वास्थ्य रक्षा आदि कार्यक्रमों द्वारा गाँव को सर्वांगीण विकास की ओर उन्मुख किया । सन् 1952 से 1964 तक वे राजस्थान की ओर से चुने संसद-सदस्य (राज्य सभा) रहे और उन्होने अनेक सांसदों, जन-नेताओं एवं विद्वानो को ग्रामोत्थान विद्यापीठ, संगरिया में आमंत्रित कर इस कस्बे और संस्था को अन्तराष्ट्रिय पहचान दिलाई। ऐसे परोपकारी सिक्षा – संत की स्म्रति बनाए रखने और उनकी ग्रामोत्थान योजनाओं को सतत चालू रखकर समयानुकूल आगे बढ़ाते रहने के उद्देश्य से ग्रामोत्थान विधापीठ परिवार के प्रमुख लोगों, विशेषकर सर्वश्री प्रो. ब्रजनारयण कौशिक, साहिबराम भादू, खेमचंद चौधरी, प्रो. महावीर प्रसाद गुप्ता और श्री शेर सिंह तूर, जिन सबको स्वामी जी का सान्निध्य और मार्ग – दर्शन चिरकाल तक प्राप्त हुआ था, ने कुछ योजनाओं पर स्वामी जी दे अंतिम – संस्कारोप्रान्त ही प्रयत्न आरंभ कर दिया था । ग्रामोत्थान विधापीठ परिवार के छोटे-बड़े सभी क्र्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने, यथा-श्रद्धा आर्थिक योगदान दिया, जिससे स्वामी जी की संगमरमर-मूर्ति का निर्माण, उसका स्वामी जी के अंतिम संस्कार स्थल पर प्रतिष्ठापन एवं स्वामी जी की जीवनी, सेवा, श्रम और शिक्षा का एक अध्ययन-स्वामी केशवानन्द का प्रकाशन आदि कार्य सम्पन्न कराए गए एवं प्रतिवर्ष स्वामी जी की निर्वाण-तिथि 13 सितम्बर पर उनके श्रद्धा – दिवसोत्सव का आयोजन स्वामी जी की मूर्ति के पास किया जाने लगा। उस वार्षिक आयोजन में विध्यापीठ के सभी कर्मचारी और छात्र-छात्राएँ स्वामी जी लो श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र होते थे। गिने-चुने संस्था के पूर्व छात्र और स्वामी जी के श्रद्धालु सज्जन भी आया करते थे। ग्राम कटैहड़ा (पंजाब) के चो. रमनरायण ज्याणी, चौधरी राजाराम ज्याणी और श्री ब्रजनारयण कौशिक का पहुँचना सर्वथा निश्चित था। स्वामी जी के पुण्य-तिथि 13 सितम्बर 1983 को श्रढदिवसोत्सव में श्री ब्रजनारयण कौशिक ने विचार रखा कि सन् 1983 स्वामी जी का जन्म-शती वर्ष होने के कारण उनकी स्म्रति मे ग्रामोत्थान विध्यापीठ में भी कोई प्रवृत्ति चालू कि जावे जो स्वामी जी की ग्रामोत्थान योजनाओं को अनवरत चालू रखे। इस पर विस्तृत विचार के लिए सर्वश्री रामनारायण ज्याणी, राजाराम ज्याणी, प्रो. ब्रजनारयण कौशिक, साहिबराम भादू, खेमचन्द चौधरी एवं शेर सिंह तूर की समिति गठित की गयी और एक माह में प्रस्तुत करने को कहा गया। इस समिति ने स्वामी जी की कुटिया (निवास-स्थान) में 11 अक्टूबर 1983 को चौ. रमनरायण ज्याणी की अध्यक्षता में एक बेठक आयोजित की जिसमें संस्था में कार्यरत संस्था के पूर्व छात्रों को भी आमंत्रित किया गया। समिति के सुझावनुसार और चौधरी रमनरायण ज्याणी के आग्रह पर “स्वामी केशवानन्द स्मारक ट्रस्ट” की स्थापना का सर्व-सम्मत प्रस्ताव पारित किया गया। चौ. रमनरायण ज्याणी ने प्रस्तावनुसार कार्य को आगे बड़ाने की ज़िम्मेदारी संभाली और उनके मार्ग दर्शन एवं निर्देशन में समिति सदस्य ग्रामोत्थान विध्यापीठ संगरिया के पूर्व छात्रों – चौ. बलराम जाखाड़ लोक सभाध्यक्ष, डॉ. ज्ञानप्रकाश पिलानिया आई.पी.एस. पुलिस महानिदेशक राजस्थान, चौ. धर्मवीर आइ. ए.एस. क्लैक्टर उदयपुर, चौ. जगदीश कुमार नेहरा, शिक्षा मंत्री हरियाणा आदि उच्च-पदस्थ लोगों एवं श्री गंगानगर-हनुमानगढ़, फाजिल्का-अबोहर और सिरसा-फतेहाबाद के स्वामी जी के श्रद्धालु प्रमुख लोगों से ट्रस्ट के आजीवन ट्रस्टी बनने के स्वीकृति प्राप्त करने हेतु मिले। ट्रस्ट के प्रथम 21 आजीवन ट्रस्टी चुनने मे पूर्ण-निर्देशन चौ. रामनारायण ज्याणी का रहा। उनही की राय से डॉ. बलराम जाखड़ को आजीवन मुख्य संरक्षक एवं डॉ. ज्ञान प्रकाश पिलानिया को ट्रस्ट का अध्यक्ष मनोनीत कर उनकी सहमति प्राप्त की गयी। ग्रामोत्थान विद्ध्यापीठ के महामंत्री श्री यशवंत सिंह से भी संपर्क साधकर उनका सहयोग प्राप्त किया गया। संस्था के विभागाध्यक्षों ने भी सभी कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं का सहयोग ट्रस्ट के लिए उपलब्ध कराया। जुलाई-अगस्त 1984 में ट्रस्ट की प्रथम स्मारिका प्रकाशित कराई गयी, जिसकी विषय-वस्तु स्वामी जी, ग्रामोत्थान विद्ध्यापीठ का संक्षिप्त इतिहास, ट्रस्ट-विधान की प्रारम्भिक रूप-रेखा और ट्रस्ट कोष में प्रथम वर्ष में प्राप्त दान का विवरण आदि थे।

ट्रस्ट स्थापना की विधिवत घोषणा

स्वामी जी का तेरहवां स्मृति दिवसोत्सव 13 सितम्बर 1984 को ग्रामोठन विद्ध्यपीठ, संगरिया के प्रांगण मे आयोजित किया गया और ट्रस्ट के मनोनीत आजीवन ट्रस्टीयों, इलाके के स्वामी जी के श्रद्धालु एवं ग्रामोत्थान विद्ध्यपीठ के हितैषी महानुभाव एवं संस्था के छात्रों को आमंत्रित किया गया। उत्सव के मुख्य अथिति डॉ॰ बलराम जाखड़ लोक सभाध्यक्ष और अध्यक्ष श्री रामचंद्र चौधरी पूर्व मंत्री राजस्थान थे। डॉ ज्ञान प्रकाश पिलानिया ने स्वामी जी को श्रद्धांजली देते हुए उनकी स्मृति में स्थापित किए जाने वाले ट्रस्ट की इलाके के लिए आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला और उसकी संक्षिप्त रूप-रेखा उपस्थित जन-समूह के समक्ष रखी। तत्पश्चात उन्होंने जनता-जनार्दन से ट्रस्ट से निर्माण का अनुमोदन करने की मार्मिक अपील की। सब ओर से करतल ध्वनि द्वारा ट्रस्ट निर्माण का अनुमोदन किया गया। मुख्य अतिथि महोदय ने ‘स्वामी केशवानन्द स्मृति चैरिटेबल ट्रस्ट ’ के निर्माण की विधिवत घोषणा की और उसके स्थायी कोष (पूंजी) के निर्माण में उपस्थित जन- समूह से अधिक से अधिक अरठुक योगदान का साग्रह निवेदन किया।
ट्रस्ट अध्यक्ष डॉ ज्ञान प्रकाश पीलानिया आई.पी.एस., पुलिस महानिदेशक, राजस्थान स्वामी केशवानन्द स्मृति दिवसोत्सव सन् 1984 (19-9-84) पर स्वामी केशवानन्द स्मृति चैरिटेबल ट्रस्ट के उद्देश्य और रूप-रेखा प्रस्तुत करते हुए।  स्वामी केशवानन्द स्मृति दिवतोत्सव सन् 1984 (13-9-84) के मुख्य अथिति ट्रस्ट के आजीवन संरक्षक डॉ बलराम जाखड़, तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष, स्वामी केशवानन्द स्मृति चैरिटेबल ट्रस्ट संगरिया के विधिवत निर्माण की घोषणा करते हुए।